Sunday, May 11, 2014

माँ

मुझे किसी एक दिन कि जरुरत नहीं,
आपसे अपने प्यार का इजहार करने के लिये !
सोचती है आप कि मैं याद नहीं करती आपकों,
कैसे बताऊँ कि मेरी हर सोच ही जा कर जुड़ जाती है आप से !
वो रातें याद है गीले गालोँ वालीं मुझे, 
जब कुछ बुरे सपनो से जागती थीं मैँ, 
बुरा बुरा सोच कर रोती थीं, 
घंटों आपकी याद में सिसकिया भरा करती, 
क्या करती, इतनी दूर और छोटि जो थी मैँ ! 

वैसे तो मुझे किसी को रोते देखना पसन्द नहीं, 
मुस्कान ही सबके चेहरे पर मुझे भाती है, 
पर आपको जब जब रोते देखा है, 
बहोत दर्द सा हमेशा महसूस हुआ है, 
तीर से लगे है कुछ तो,
हज़ारो सुइयों ने जैसे छुआ है !
यूँ तो मैने बखान किये है सबकेँ,
आपके लिए आज वक़्त निकाला है, 
पर जो लिख पायी हूँ किसी के लिये कुछ,
तो वो भी तो आपही की प्रेरणा है !
आप ही हो वो जल का स्रोत,
मेरा जीवन जिससे मैने सीचा हैं, 
आप ही कि गर्मी से,
इन ठंडी शीत लहरो में भी खुद को महफूज पाया है !
मेरी कलम कि स्याही आप हो,
मेरे बनाये खाने मे खुशबू जो है वो आप हो,
मेरी बनायीं तस्वीरो से झाँकता जीवन आप हो! 
और हो भी क्यों ना ?
आपके अन्दर रह कर नौ महीने
मैंने ये सब सीखा है !

आपकी उस एक मुस्कान में इतना प्यार बसा है, 
जब भी याद किया है उसको, अश्रु आँखों से पानी कि तरह बहा है ! 
आपकी आँखों कि सच्चाई से, सीखा है मैने बहोत क़ुछ,
शायद इसलिए आज मेरी आँखें भी एक आईंना है !

आपकी खनकती चूड़ियों से, थिरकती पायल से, 
मुझे हमेशा एक संकेत मिला है ! 
गाल सहलाती है जब आप 
अपने उन मुलायम हाथोँ से, 
गोद में सर रख कर 
उंगलिया फेराती है जब बालोँ मे, 
मंन में एक उन्माद सा होता है, 
जहन्नुम में जन्नत का एहसास सा होता है !
हमेशा ही हक़ जताया है आप पर मैने,
हक़ है भी ज्यादा मेरा, 
सब के बदले का प्यार जो मैने आप पर लुटाया है ! 
आपका आँचल पकड़ पीछे पीछे घूमती थी मै,
मौका सा मिलते ही आपके गले से लिपट जाती थी मैं, 
चोटी खीचना आपकी, मेरा अधिकार हमेशा रहा है, 
पेट पर पुर्र पुर्र करना आपके, इसमें ही तो जीवन का मजा है !
हर परीक्षा से पहले आपने,
अपना साहस मुझमे बाँधा है ! 
हर कठिन कूच से पहले 
आपके स्मरण ने, 
मुझे सफलता का शिखर दिखाया है !
आपकी आवाज से जीवन में मीठास सा वो घुलता है, 
आपके हर एक दर्द पर, 
कही मुझे चोट लगी है, ऐसा क्यूँ लगता है ?
आपको पता है सरल शब्द ही मेरे हृद्य का रास्ता है, 
ऐसा नहीं है कि कठोर वचन नहीं कहे आपने कभी, 
आपके कठोर वचन लगे है पत्थरो से तेज,
आप पर मेरी माँ है, 
मेरे जीवन का अंकुर आपही के अन्दर अंकुरित हुआ है ! 
नाराज इसलिए हो नहीं सकती अपसे, 
नाराज हो कर जाऊँगी कहा ? 
पूरा संसार मिल कर भी मुझे प्यार करेँ, 
तब भी वो घड़ा सिर्फ़ आपही के प्यार से पूरा भरा है ! 
सब मिल कर दुआएं दे, 
तब भी आपकी उस एक प्रार्थना का ज्यादा असर हुआ है! 

आप ही मेरी माँ है, 
मेरे जीवन के हर सच का सच, 
हर साँस के साथ कही गयी मेरी वो प्रार्थना है !
जीता जागता विष्णु स्वरूप,  
सरस्वती सीता शिव कान्हा सब मुझे यहीं मिला है ! 
मेरे कहे कठोर वचन, 
ह्रदय पर ना लेना,
माँफ कर देना मुझे,
कभी जो मैने दिल आपका दुखाया है!
कोटि कोटि प्रणाम है आपको,
आपके चरणों में स्वर्ग मेरा बसा है,
आप मेरी माता है, 
आप मेरी माता है !

Friday, May 9, 2014

The White Horse

There is that white horse.
It is the one I wish to ride.
I know it will ride away with me,
together we will gallop away,
gallop away far from the obvious abodes. 

I want to gallop away into the skies above,
I want to gallop away into the deep blue seas,
I want to gallop away into the dark forest,
where the black woods would bind me.

I want to gallop away into some far forsaken love,
I want to gallop away into the winds,
I want to press my lips against hers,
make wild love, fight and leave when it all begins.

I want to gallop away into the shadows,
I want to gallop away into the fall,
I want to gallop away into that light,
that seems to come from a bit far.

I want to ride my white beauty on the oceans spread too far,
I wish her hooves smash the arrogant waves,
and together we go tearing the fire that blazes everyone apart.
I will ride her against the mountain pride,
at the top, the clouds and stars would reach out to us
and together we will spend the night.

My white beauty will take a leap and we will be on that end,
where the suns meet oceans,
where the moon rises and sets with the sun,
where the day and night sleep together
and water dances on the blossom of fire.

I would gallop away into that world,
I would gallop away into that world.